भारत का समग्र विकास बिना ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के कतई संभव नहीं है. सरकारों के तमाम दावों के बावजूद हमारे गांव विकास तो दूर, कुछ बहुत जरूरी सुविधाओं तक से भी महरूम हैं. योजनाएं बनती रहीं, धन खर्च होते रहे, पर स्थिति में संतोषजनक बदलाव नहीं हुआ है.
ग्रामीण विकास की मौजूदा स्थिति की यदि हम अन्य देशों से तुलना करेंगे तो हम इसमें अभी बहुत पीछे हैं. विकसित देशों और यहां तक कि कई विकासशील देशों के ग्रामीण क्षेत्रों में तकरीबन दो फीसदी लोग ही कृषि संबंधी उत्पादकता पर निर्भर हैं. ग्रामीण क्षेत्र ज्यादातर प्राथमिक संसाधनों पर आधारित होते हैं. अमेरिका, जापान जैसे देशों में महज दो फीसदी लोग ही कृषि पर आधारित हैं. जबकि भारत में तकरीबन 55 फीसदी लोग कृषि संबंधी कार्यो पर निर्भर हैं. यह एक बहुत बड़ा गैप है. एक बड़ी विषमता है.
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